मेरा नाम प्रमोद मौर्या है मैं उत्तर प्रदेश मऊ जिला का रहने वाला हूं मैं एक गरीब परिवार से हूं मैंने जिंदगी में बहुत संघर्ष किए मैंने क्लास एक से बारहवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की मैं 2001 में नाइंथ क्लास में जब दाखिला लिया उसी टाइम से मैं इलेक्ट्रॉनिक्स फील्ड में काम करना स्टार्ट किया सुबह के 7:00 से 9:00 तक कोचिंग जाता था फिर उसके बाद 10:00 से 2:00 तक कॉलेज में जाता था 3:00 बजे से 8:00 बजे तक मैं दुकान पर काम करता था जहां पर इलेक्ट्रॉनिक्स के पूरे काम होते थे मोटर रिवाइंडिंग पंखा रिवाइंडिंग कूलर वाइंडिंग इनवर्टर स्टेबलाइजर काम किया जाता था 2005 में मेरा बारहवीं क्लास 1st डिवीजन से पास किया
2001–2006 में ममता इलेक्ट्रॉनिक्स भीमपुरा उत्तर प्रदेश बलिया जिला में पड़ता है मैं वहां पर 6 साल काम किया था वहां से ही मेरा इलेक्ट्रिकल का काम और इलेक्ट्रॉनिक्स का काम स्टार्ट हुआ मैंने 2006 में मैंने वहां पर काम छोड़ा और मुंबई आ गया
2006–2007 मैं में मुंबई आया मुंबई गोरेगांव में एक छोटे से दुकान पर इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक का काम स्टार्ट किया वहां पर मैं पूरे दिन कंपनियों में जाके मेंटेनेंस का काम करता था
2007 – 2007 में मैं वसई में मौर्या इलेक्ट्रिकल नाम के एक दुकान पर काम करना स्टार्ट किया वहां पर मैं एक अच्छा इलेक्ट्रिकल और एक अच्छा वायरमैन का काम करता था वसई में मैं इतना अच्छा काम करने लगा था हर कंपनी में से हमारे दुकान पर फोन आता था तो सब लोग यही कहते थे कि मौर्य को भेजना मेरे को आज तक मेरे नाम से बहुत कम ही लोग जानते हैं जहां पर भी मैं इंडस्ट्रीज में काम किया है सिर्फ मौर्य के नाम से ही जानते हैं वहां पर किसी का भी फोन आता था तो वह यही बोलते थे मौर्य को भेज दो मौर्य आएगा तो कुछ भी प्रॉब्लम रहेगा तो हमारा मशीन चालू हो जाएगा मैं भी पहुंच दिल लगाकर काम करता था कुछ भी काम ऐसा नहीं था जो कि मैं बोलूं कि मेरे से नहीं होगा नहीं होगा वह किसी से मैं पूछकर करता था मैं तो काम करके देता था और उनका मशीन चालू कर देता था |
2007– 2008 मैं दमन आया जेके इलेक्ट्रिकल में 1 साल मैंने काम किया वहां पर काफी बड़े-बड़े मोटर हमने बनाया काफी हमने काम सीखा वहां पर उमेश मिश्रा जी हैं मेरे को काफी कुछ सिखाया यहां तक उन्होंने मेरे को सिखाया कि किसी भी चीज में हार नहीं माना जाता है मैं तो पहले से ही हार नहीं मानता था और वहां पर आने के बाद उन्होंने मेरे को बहुत अच्छा रास्ता दिखाया और बहुत अच्छा तरीके से काम करने को सिखाया जो कि उन्होंने मेरे को एक सिस्टम बताया एक सिस्टम से काम करो आज उनका एहसान में कभी नहीं भूलूंगा कहते हैं एक-एक करके लोग साथ देते हैं तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं अकेला हम कुछ नहीं कर सकते उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ अच्छा तरीका दिखाया जो कि आज भी मैं इंडस्ट्रियल में उसी के हिसाब से काम करता हूं उनका मैं तहे दिल से मैं धन्यवाद देना चाहता हूं जो उन्होंने मेरे को इस लायक बनाया |
2008-2008 में मैंने अलफा इलेक्ट्रॉनिक्स में काम स्टार्ट किया जोकि दमन में ही है वहां पर मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स का काम सीखा. 1 साल वहां पर भी मैंने काम किया उसके बाद मैंने अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट करने का फैसला किया
2009-2011 में श्री साई इलेक्ट्रॉनिक्स कंट्रोल सर्विस में मैंने पार्टनरशिप में सिलवासा में खुद का बिजनेस स्टार्ट किया जो कि मैं 2011 तक किया उसके बाद मैं हूं ना चला गया मैं पुणे चला गया पीएलसी ऑटोमेशन का ट्रेनिंग करने के लिए उसके बाद में 2011 में मैंने अपना सेल्फ बिजनेस स्टार्ट किया
2011-2016 में ओ एस ऑटोमेशन के नाम से मैंने वापी गुजरात में अपना बिजनेस चालू किया जो कि 2016 तक मैं उस नाम से काम किया उसके बाद1 साल में मैंने इतना पैसा कमाया कि मेरे को लगा कि मेरे को एक इंजीनियर बनना चाहिए फिर मैंने 2012 में बीटेक में एडमिशन लिया जो कि राजस्थान के सीकर जिले में Shekhawati Group of Institutions के नाम से है |
2016 में मैंने Synigence Electronic & Automation Pvt. Ltd. कंपनी का फाउंडेशन बनाया इसके लिए मैंने इस कंपनी का फाउंडेशन रखा इंडिया लेवल पर मैं एक अच्छा इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विस सेंटर और एक एडवांस रिसर्च इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विस सेंटर बना सकूं जहां पर इंडिया के एक गरीब परिवार से भी कोई भी बच्चा आके ट्रेनिंग ले सके और रिसर्च कर सके उसके लिए बहुत ज्यादा पैसा ना देना पड़े लेकिन आज तो यह कंडीशन है कोई भी कंपनी में पैसा इन्वेस्ट करना नहीं चाहता है क्योंकि किसी को किसी पर भरोसा नहीं है कोई भी अगर पैसा इन्वेस्ट करता है तो बड़े लोगों के साथ करता है मैं आज बहुत कोशिश किया कि मेरे को इन्वेस्ट मिले ताकि मैं एक ऐसा एक ऐसा प्लेटफार्म बना सकूं जहां पर हर घर का बच्चा इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स खिलवाड़ समझे |
मेरे नाम से बहुत कम ही लोग जानते हैं जहां पर भी मैं इंडस्ट्रीज में काम किया है सिर्फ मौर्य के नाम से ही जानते हैं वहां पर किसी का भी फोन आता था तो वह यही बोलते थे मौर्य को भेज दो मौर्य आएगा तो कुछ भी प्रॉब्लम रहेगा तो हमारा मशीन चालू हो जाएगा मैं भी पहुंच दिल लगाकर काम करता था कुछ भी काम ऐसा नहीं था जो कि मैं बोलूं कि मेरे से नहीं होगा नहीं होगा वह किसी से मैं पूछकर करता था मैं तो काम करके देता था और उनका मशीन चालू कर देता था आज भी मैं वही काम करता हूं कोई भी मशीन हो कहीं की भी हो मेरे से हो या ना हो मैं करा कर देने के लिए सक्षम हूं 1 लोगों से नहीं 10 लोगों से मैं पूछता हूं उसके बारे में कैसे होता है फिर उसके बाद मैं अपने मन से सोचता हूं अब मेरे को क्या-क्या करना चाहिए|
क्या करें पैसा ना होने के कारण मैं बड़ा काम कभी नहीं कर पाया लेकिन मेरी सोच है मैं कुछ बड़ा करके दिखाऊंगा मैं कोशिश करते रहूंगा आज मैं 2020 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का डायरेक्टर हूं|
अब मैं कुछ कंपनियों से इन्वेस्ट के रूप में कुछ पैसे लेकर मैं एक इंडिया का फर्स्ट कंपनी बनाऊं जोकि एक अच्छा सर्विस एक अच्छा इंजीनियर और एक अच्छा रिसर्च सेंटर बना सकूं यही मैं सभी कंपनियों से बोल रहा हूं कि मेरे को सपोर्ट करो ताकि मैं आप लोगों को एक अच्छा सर्विस प्रोवाइड करवा सकूं जिससे कि कम पैसे में उनका भी फैक्ट्री चल सके |
मैं उसको अपने टीम के द्वारा हम एक कंपनी में 100000 इंजीनियर एक अच्छा सिस्टम पर काम कर सकते हैं लेकिन वही 1000 दुकान करके हम दो इंजीनियर नहीं रख सकते हैं
जब मैं अल्फा इलेक्ट्रॉनिक में था उस टाइम में 1 ऐसे ब्राह्मण से मुलाकात हुआ जो कि उन्होंने मेरी किस्मत ही बदल दी उन्होंने मेरे को इंडस्ट्रियल मार्केटिंग सिखाया जिनका नाम राम नारायण पांडे हैं वह प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश से हैं उन्होंने मेरे लिए काफी मेहनत किया मार्केटिंग में मेरे को भी साथ में लेकर जाते थे कंपनी में सभी लोगों से मिलाते थे और मेरे को यह भी बताते थे कि किस तरह से बात करना चाहिए और कब क्या बोलना चाहिए कहते हैं ना बिना गुरु का ज्ञान नहीं कोई गुरु होना चाहिए उन्होंने जो किया ओ हर गुरु को करना चाहिए हर एक बिजनेसमैन का एक गुरु होता है जो कि उसको रास्ता दिखाता है या आप उसको एडवाइजर कह सकते हैं बिजनेस के रूप में तो बिजनेस एडवाइजरी कहा जाता है जो कि वह बिजनेस एडवाइजरी मेरी काफी मदद की है उनको मैं अपने लाइफ में कभी नहीं भूल सकता हूं और ना ही भूल पाऊंगा क्योंकि जो भी उन्होंने सिखाया आज उसी के बल पर मैं 7 फाउंडेशन खड़ा कर रहा हूं जिसमें कि हर तरफ से मैं सब लोगों को सिखाऊंगा क्योंकि मेरा एक वसूल है मैंने किसी से लिया तो मेरे को किसी को देना चाहिए मेरे को किसी का अपने ऊपर रखना नहीं है तो मेरे को राम नारायण पांडे जी ने दिया तो मैं उसी को सभी लोगों को दूं यही मेरा उद्देश्य है एक छोटा घर का आदमी अपना बिजनेस कर सके और अपने बच्चों को अच्छा पढ़ा सके मेरे से जितना होगा उतना करने का कोशिश करूंगा बाकी तो कहते हैं ना जो करेगा वह ऊपर वाला करेगा चलना तो हमारे को पड़ेगा अगर हम चलेंगे नहीं तो वह तो आकर नहीं करेगा ना इसके लिए मेहनत हमारे को करना है उसको नहीं अपनी सोच बदलो फिर अपने घरवालों की सोच बदलो फिर अपने गांव वालों को बदलो फिर अपने जिला वालों को बदलो फिर अपने स्टेट वालों को बदलो एक दिन आएगा यह हमारा भारत सोने की चिड़िया कहलायेगा|